दांतों और मधुमेह का आखिर रिश्ता क्या है
सेहतराग टीम
मधुमेह और दांतों के बीच आखिर क्या संबंध है? आम लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। दरसअसल मधुमेह के कारण होने वाली जटिलताओं में पेरियोडोंटल बीमारियों को छठी सबसे गंभीर जटिलता माना जाता है। शुरुआती पांच जटिलताओं में किडनी, रेटिना को होने वाला नुकसान और हृदय रोग शामिल हैं। हालांकि लोगों के बीच इस बात को लेकर जानकारी का स्तर इतना कम है कि लोग इससे ग्रस्त होने के बावजूद डॉक्टर के पास जाने में आना-कानी करते हैं। एक हालिया अध्ययन ने पाया है कि लोगों में इस बात को लेकर जागरूकता का गंभीर अभाव है कि दांतों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने से भविष्य में शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है।
क्या है पेरियोडोंटल बीमारी
पेरियोडोंटल बीमारियों का अर्थ मसूढ़ों, उसके आसपास के टिश्यूज और हड्डियों में लंबे समय से होने वाली समस्या है। इस बीमारी के कारण शरीर में शुगर की मात्रा पर विपरीत असर पड़ने के साथ-साथ ये मधुमेह के बढ़ने में भी अपना योगदान देता है।
कैसे जुड़ा है शुगर से
इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल का कहना है कि गंभीर पेरियोडोंटल बीमारियों को हृदय और किडनी रोगों के लिए स्वतंत्र रिस्क फैक्टर माना जाता है। दरअसल मुंह स्वाभाविक रूप से कई तरह के बैक्टीरिया को पनाह देता है। ऐसे में यदि शरीर में जितना अधिक शुगर होगा इन बैक्टीरिया को उतना ही अधिक शुगर, स्टार्च की सप्लाई होगी और इससे ज्यादा से ज्यादा एसिड बनने के कारण दामों को ज्यादा नुकसान होगा। मसूढ़ों में होने वाली शुरुआती समस्या जिंजिवाइटिस एक और कारक है जिसका यदि समय रहते इलाज नहीं किया गया तो ये दांतों की गंभीर बीमारी पेरियोडोंटाइटिस को जन्म देता है। पेरियोडोंटाइटिस मसूढ़ों के पास के नरम टिश्यूज और हड्डियों, जो कि दांतों को सहारा देते हैं, को नष्ट कर देता है।
मधुमेह रोगियों में क्या है खतरा
मधुमेह के मरीजों में पेरियोडोंटाइटिस की समस्या गंभीर हो जाती है क्योंकि मधुमेह शरीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है। इसलिए ये महत्वपूर्ण है कि मधुमेह के ऐसे रोगी जो दांत की समस्या से भी ग्रस्त और ऐसे मधुमेह रोगी भी जिन्हें दांतों की कोई समस्या नहीं है वो साल में कम से कम एक बार दांतों की जांच जरूर करवाएं ताकि भविष्य में किसी भी तरह की जटिलता से बच सकें।
मधुमेह रोगियों में लार में आने वाला अतिरिक्त शुगर एक अन्य बीमारी कैंडीडियेसिस को जन्म देता है। इस बीमारी में मुंह के अंदर सफेद या लाल घाव जैसे एरिया बन जाते हैं।
कब लें डॉक्टर की सलाह
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि यदि आपको अपने मुंह में किसी भी तरह की मसूढ़ों की समस्या दिखती है, मसलन रेडनेस, सूजन या खून आना तो बेहतर है कि आप अपने दांतों के डॉक्टर से सलाह ले लें। इसके अलावा यदि मुंह सूख रहा हो, दांत हिल रहे हों या मसूढ़ों में दर्द हो तब भी चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। सबसे बढ़कर, किसी भी हाल में आपको ये सुनिश्चित करना है कि आपका शुगर का लेवल हमेशा नियंत्रण में रहे।
Comments (0)
Facebook Comments (0)